
दक्षिण चीन सागर एवं सम्पूर्ण एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तनाव तत्काल कम किया जाए तथा सैन्यीकरण पर रोक लगाई जाए
दक्षिण चीन सागर एवं सम्पूर्ण एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तनाव तत्काल कम किया जाए तथा सैन्यीकरण पर रोक लगाई जाए!
हम, एशिया और प्रशांत क्षेत्र के जनपक्षधर, लोकतांत्रिक एवं शांतिप्रिय लोग, दक्षिण चीन सागर एवं समूचे क्षेत्र में बढ़ते सैन्य तनाव और हस्तक्षेप पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं।
1 अप्रैल 2025 को फिलीपींन्स की सेना के प्रमुख द्वारा दिया गया यह बयान कि “उत्तरी लूजोन कमांड को केवल मावुलिस द्वीप तक सीमित न रहकर तैवान पर संभावित हमले की स्थिति में कार्रवाई की योजना बनानी चाहिए”, एक बेहद चिंताजनक संकेत है। यह घोषणा अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ की फिलीपींस यात्रा के तुरंत बाद आई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि फिलीपींस की सैन्य रणनीति अमेरिकी साम्राज्यवादी नीतियों के प्रभाव में संचालित हो रही है।
राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में क्षेत्रीय देशों की संप्रभुता का उल्लंघन अस्वीकार्य है।
राष्ट्रीय सुरक्षा की सीमाएं देश की भौगोलिक सीमाओं तक ही सीमित होती हैं। अन्य देशों के मामलों में हस्तक्षेप करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों और क्षेत्रीय शांति के सिद्धांतों का सीधा उल्लंघन है।
फिलीपींस के सैन्य प्रमुख का यह बयान अमेरिका की “द्वीप श्रृंखला” रणनीति के अनुरूप है, जिसमें ताइवान, जापान और फिलीपींस जैसे देशों को चीन को घेरने, उकसाने और नियंत्रित करने के लिए मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। अमेरिका की युद्ध नीति के तहत फिलीपींस को एक बार फिर छद्म युद्ध और ‘तोप के चारे’ के रूप में धकेला जा रहा है।
हम मांग करते हैं कि:
• दक्षिण चीन सागर में सभी पक्ष तत्काल सैन्य तनाव को कम करें।
• क्षेत्र का सैन्यीकरण समाप्त किया जाए।
• अमेरिका द्वारा फिलीपींस को बेचे जा रहे F-16 युद्धक विमानों की बिक्री रोकी जाए — जिसकी अनुमानित लागत $5.58 बिलियन है — जो फिलीपींस जैसे गरीब देश पर एक भारी आर्थिक बोझ है और शत्रुता को और बढ़ाता है।
• चीन द्वारा 2 अप्रैल को पूर्वी चीन सागर में आयोजित लंबी दूरी की लाइव-फायर ड्रिल जैसी कार्रवाइयों पर भी रोक लगे, जो क्षेत्रीय तनाव को और अधिक भड़काती हैं।
यदि यह संघर्ष युद्ध में बदलता है, तो सबसे ज़्यादा नुकसान एशिया और प्रशांत क्षेत्र के आम लोगों को झेलना पड़ेगा, विशेषतः दक्षिण चीन सागर के आसपास के समुदायों को।
हम एशिया और प्रशांत क्षेत्र के सभी देशों से अपील करते हैं कि वे आपसी मतभेदों का राजनीतिक समाधान खोजें। कूटनीति को केंद्र में रखते हुए, सभी संबंधित देशों को समानता के आधार पर बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप, विशेष रूप से अमेरिका की दखलंदाजी के बिना, शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से रास्ता निकालना चाहिए।
हम क्षेत्र में स्थायी शांति, संप्रभुता और न्यायसंगत विकास की दिशा में प्रतिबद्ध हैं।
हस्ताक्षरित,
आईएलपीएस एशिया और प्रशांत क्षेत्रीय समिति
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